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BJP नेता ने अमित शाह सहित सभी सांसदों को लिखा खुला पत्र, कहा-इस कानून से ही निपटेंगी सारी समस्याएं

नई दिल्ली: बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने जनसंख्या नियंत्रण कानून (population control law) को लेकर मुहिम शुरू की है. इसके मसौदे पर वह देश भर के कई सांसदों से हस्ताक्षर करा रहे हैं. ताकि सरकार पर जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर दबाव बनाया जा सके. अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में गठित जस्टिस वेंकटचलैया आयोग ने कई सिफारिशों की थीं, जिसके आधार पर पिछली यूपीए सरकार ने मनरेगा, खाद्य सुरक्षा का अधिकार जैसी कई योजनाएं शुरू कीं, मगर उसमें सबसे प्रमुख जनसंख्या नियंत्रण कानून की सिफारिश को दरकिनार कर दिया गया. ऐसे में मौजूदा बीजेपी सरकार को संसद के इसी सत्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून पर पहल करनी चाहिए. अब तक मौजूदा मोदी सरकार भी इस तरफ से मुंह फेरे हुए हैं. अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि इस कानून में ऐसी ताकत है, जिससे देश में मौजूद हर छोटी से बड़ी समस्या हमेशा के लिए खत्म हो सकती है.  अगर आज अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत की तमाम मानकों में रैकिंग खराब है तो उसके पीछे भी जनसंख्या विस्फोट ही है. उपाध्याय का तर्क है कि जब तक दो करोड़ बेघरों को घर दिया जायेगा तब तक 10 करोड़ बेघर और पैदा हो जायेंगे. इसलिए एक नया कानून ड्राफ्ट करने में समय खराब करने की बजाय चीन के जनसंख्या नियंत्रण कानून में ही आवश्यक संशोधन कर उसे वर्तमान संसद सत्र में ही लोकसभा में पेश करना चाहिए. इसको लेकर उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और सभी सांसदों को खुला पत्र लिखा है. उसका मजमून यहां है.


अमित शाह जी, सांसद जी नमस्कार !
वर्तमान समय में लगभग 122 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा लगभग चार करोड़ बंगलादेशी और एक करोड़ रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं! इससे स्पस्ट है कि हमारे देश की कुल जनसंख्या 125 या 130 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 152 करोड़ है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं ! यदि संसाधनों की बात करें तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2% है, पीने योग्य पानी मात्र 4% है और जनसंख्या दुनिया की 20% है! यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसंख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है ! चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं!


जल जंगल और जमीन की समस्या, रोटी कपड़ा और मकान की समस्या, गरीबी और बेरोजगारी की समस्या, भुखमरी और कुपोषण की समस्या तथा वायु प्रदूषण जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की समस्या का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है ! टेम्पो बस और रेल में भीड़, थाना तहसील और जेल में भीड़ तथा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भीड़ का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है ! चोरी डकैती और झपटमारी, घरेलू हिंसा और महिलाओं पर शारीरिक- मानसिक अत्याचार तथा अलगाववाद कट्टरवाद और पत्थरबाजी का मूल कारण भी जनसंख्या विस्फोट है! चोर लुटेरे झपटमार जहरखुरानी करने वालों बलात्कारियों और भाड़े के हत्यारों पर सर्वे करने से पता चलता है कि 80% से अधिक अपराधी ऐसे हैं जिनके मां-बाप ने हम दो-हमारे दो नियम का पालन नहीं किया! इन तथ्यों से स्पस्ट है कि भारत की 50% से अधिक समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट ही है !

महिला हिंसा के पीछे भी जनसंख्या विस्फोट
संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशानुसार हम लोग भी प्रत्येक वर्ष 25 नवंबर को महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाते हैं लेकिन महिलाओं पर हिंसा बढ़ती जा रही है और इसका मुख्य कारण भी जनसंख्या विस्फोट है! बेटी पैदा होने के बाद महिलाओं पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार किया जाता है, जबकि बेटी पैदा होगी या बेटा, यह महिला नहीं बल्कि पुरुष पर निर्भर करता है! कुछ लोग तो 3-4 बेटियां पैदा होने के बाद पहली पत्नी को छोड़ देते हैं और बेटे की चाह में दूसरा विवाह कर लेते हैं ! बेटियों को बराबरी का दर्जा मिले, बेटियों का स्वास्थ्य ठीक रहे, बेटियां सम्मान सहित जिंदगी जीयें तथा बेटियां खूब पढ़ें और बेटियां भी आगे बढ़ें, इसके लिए चीन की तर्ज पर एक प्रभावी और कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना बहुत जरूरी है!


इसलिए खराब है अंतरराष्ट्रीय रैकिंग
अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी जनसंख्या विस्फोट है! ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103वें स्थान पर, आत्महत्या के मामले में 43वें स्थान पर, साक्षरता दर में 168वें स्थान पर, वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स में 133वें स्थान पर, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 130वें स्थान पर, सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में 93वें स्थान पर, यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स में 134वें स्थान पर, होमलेस इंडेक्स में 8वें स्थान पर, लिंग असमानता में 125वें स्थान पर, न्यूनतम वेतन में 124वें स्थान पर, रोजगार दर में 42वें स्थान पर, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ इंडेक्स में 43वें स्थान पर, फाइनेंसियल डेवलपमेंट इंडेक्स में 51वें स्थान पर, करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 81वें स्थान पर, रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 66वें स्थान पर, एनवायरनमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 177वें स्थान पर तथा पर कैपिटा जीडीपी में 139वें स्थान पर हैं लेकिन जमीन से पानी निकालने के मामले में हम दुनिया में पहले स्थान पर हैं, जबकि हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2 % तथा पीने योग्य पानी मात्र 4% है!


प्रदूषण के पीछे भी जनसंख्या
प्रत्येक वर्ष हम लोग 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाते हैं और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर पिछले 4 साल में बहुत से प्रयास भी किये गये हैं लेकिन जनसंख्या विस्फोट के कारण वायु प्रदूषण जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इसका मूल कारण भी जनसंख्या विस्फोट है इसलिए चीन की तर्ज पर एक कठोर जनसंख्या नियंत्रण
कानून के बिना स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत अभियान का सफल होना भी मुश्किल है ! एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना बेटी पढाओ-बेटी बचाओ अभियान तो सफल हो सकता है लेकिन विवाह के बाद बेटियों पर होने वाले अत्याचार को नहीं रोका जा सकता है! 3-4 बेटीयां पैदा होने के बाद महिलाओं पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार
किया जाता है, जबकि बेटी पैदा होगी या बेटा, यह महिला नहीं बल्कि पुरुष पर निर्भर है! बहुत से लोग बेटे की चाह में बहुविवाह भी करते हैं! बेटे-बेटियों में गैर-बराबरी बंद हो, बेटे-बेटियों को बराबर सम्मान मिले, बेटियां पढ़ें, बेटियां आगे बढ़ें और बेटियां सुरक्षित भी रहें, इसके लिए इसी संसद सत्र में जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना चाहिए!

भगवान राम ने हम दो-हमारे दो की दी थी प्रेरणा
टैक्स देने वाले लोग हम दो-हमारे दो नियम का पालन करते हैं लेकिन मुफ्त में रोटी कपड़ा मकान लेने वाले जनसंख्या विस्फोट कर रहे हैं! हजारो साल पहले भगवान राम ने हम दो-हमारे दो नियम की शुरुआत किया था और आम जनता को संदेश देने के लिए लक्षमण, भरत और शत्रुघन सहित स्वयं हम दो-हमारे दो नियम का पालन किया था, जबकि उस समय
जनसँख्या की समस्या इतनी खतरनाक नहीं थी! सभी राजनीतिक दल स्वीकार करते हैं कि जनसँख्या विस्फोट वर्तमान समय में बम विस्फोट से भी अधिक खतरनाक है! इसलिए चीन की तर्ज पर एक प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून लागू किये बिना रामराज्य अर्थात स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, साक्षर भारत, संपन्न भारत, समृद्ध भारत, सबल भारत, सशक्त भारत,
सुरक्षित भारत, समावेशी भारत, स्वावलंबी भारत, स्वाभिमानी भारत, संवेदनशील भारत तथा भ्रष्टाचार और अपराध-मुक्त भारत का निर्माण मुश्किल ही नहीं नामुंकिन है!


वेंकटचलैया आयोग- जिसने दिया जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही अटल जी द्वारा बनाये गए 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग (वेंकटचलैया आयोग) ने 2 वर्ष तक अथक परिश्रम और विस्तृत विचार- विमर्श के बाद संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया! अबतक 123 बार संविधान में संशोधन हो
चुका है, 2 बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है, सैकड़ों नए कानून बनाये गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरुरी जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया, जबकि “हम दो - हमारे दो” कानून से देश की 50% समस्याओं का समाधान हो जाएगा ! अटल जी द्वारा 20 फरवरी 2000 को बनाया गया संविधान समीक्षा आयोग भारत का सबसे प्रतिष्ठित आयोग है. सुप्रीम कोर्ट के  मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस वेंकटचलैया इसके अध्यक्ष तथा जस्टिस सरकारिया, जस्टिस जीवन रेड्डी और जस्टिस पुन्नैया इसके सदस्य थे! भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल और संविधान विशेषज्ञ केशव परासरन तथा सोली सोराब जी और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप इसके सदस्य थे. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष संगमा,  पत्रकार सीआर
ईरानी, अमेरिका में भारत के राजदूत रहे वरिष्ट नौकरशाह आबिद हुसैन  और सांसद सुमित्रा भी बतौर सदस्य इसमें शामिल रहे. 

संसद के इस सत्र में हो जनसंख्या नियंत्रण कानून पर चर्चा
वेंकटचलैया आयोग ने दो वर्ष तक कड़ी मेहनत और सभी संबंधित पक्षों से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौपा था. इसी आयोग की सिफारिश पर मनरेगा, राईट टू एजुकेशन, राईट टू इनफार्मेशन और राईट टू फूड जैसे महत्वपूर्ण कानून बनाये गए लेकिन जनसंख्या नियंत्रण कानून पर संसद में चर्चा भी नहीं
हुई. इस आयोग ने मौलिक कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए भी महत्वपूर्ण सुझाव दिया था. जिसे आजतक लागू नहीं किया गया! वेंकटचलैया आयोग द्वारा चुनाव सुधार प्रशासनिक सुधार और न्यायिक सुधार के लिए दिए गए सुझाव भी आजतक पेंडिंग हैं. यदि 2004 में भाजपा की सरकार बनती तो अटल जी द्वारा बनाये गए संविधान समीक्षा आयोग की सिफारिशों पर संसद में जरुर बहस होती और जनसंख्या नियंत्रण कानून भी बनाया जाता लेकिन भाजपा हार गयी और वोटबैंक राजनीति के कारण कांग्रेस ने वेंकटचलैया आयोग के सभी सुझावों पर संसद में चर्चा करने की बजाय चुनिंदा लोकलुभावन सुझावों को ही लागू किया! इसलिए युग दृष्टा अटल जी और करोड़ों भारतीयों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसी संसद सत्र में संविधान समीक्षा आयोग के सुझावों को संसद के पटल पर रखना चाहिए और आयोग के सभी सुझावों पर विशेषरूप से चुनाव सुधार, न्यायिक सुधार, प्रशासनिक सुधार और जनसँख्या नियंत्रण कानून पर विस्तृत चर्चा करना चाहिए!

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लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेता सांसद और विधायक, बुद्धिजीवी, समाजशास्त्री,पर्यावारणविद, शिक्षाविद, न्यायविद, विचारक और पत्रकार इस बात से सहमत हैं कि देश की 50% से ज्यादा समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है. जब तक दो करोड़ बेघरों को घर दिया जायेगा तबतक 10 करोड़ बेघर और पैदा हो जायेंगे. इसलिए एक नया कानून ड्राफ्ट
करने में समय खराब करने की बजाय चीन के जनसंख्या नियंत्रण कानून में ही आवश्यक संशोधन कर उसे वर्तमान संसद सत्र में ही लोकसभा में पेश करना चाहिए. कानून मजबूत और प्रभावी होना चाहिये और जो व्यक्ति इस कानून का उल्लघन करे उसका राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता, बिजली कनेक्शन और मोबाइल कनेक्शन बंद करना
चाहिए. इसके साथ ही कानून तोड़ने वालों पर सरकारी नौकरी और चुनाव लड़ने तथा पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाना चाहिए. ऐसे लोगों को सरकारी स्कूल हॉस्पिटल सहित अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित करना चाहिये और 10 साल के लिए जेल भेजना चाहिए.

मानवाधिकार के खिलाफ नहीं है जनसंख्या कानून
युग दृष्टा अटल जी के अधूरे सपने को साकार करना ही उन्हें सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी इसलिए उनके द्वारा बनाये गए वेंकटचलैया आयोग के सुझावों पर विस्तृत चर्चा करना चाहिए! एक प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना रामराज्य नामुंकिन है इसलिए कानून गृह मंत्रालय को इसी संसद सत्र में संविधान संशोधन करने और जनसंख्या नियंत्रण कानून
बनाने के लिए बिल पेश करना चाहिए! 11 सदस्यीय वेंकटचलैया आयोग (4 जज, 3 संविधान विशेषज्ञ, 2 सांसद, 1 पत्रकार और 1 नौकरशाह) ने 2 साल विस्तृत विचार-विमर्श करने के बाद संविधान संशोधन करने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था. इससे स्पस्ट है कि यह कानून किसी भी अंतराष्ट्रीय संधि या मानवाधिकार के खिलाफ नहीं है!

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