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कोरोना: अब चीन से नहीं बल्कि इस देश से टेस्ट किट खरीदेगा भारत, दिए इतने लाख के ऑर्डर



भारत ने चीन से 7 लाख कोविड रैपिड टेस्ट किटें मंगवाई थीं जिनकी गुणवत्ता काफी खराब है. इसे लेकर राज्यों से शिकायत मिलने के बाद भारत सरकार ने किटों को चीन वापस भेजने का फैसला लिया है. 




नई दिल्ली: चीन (China) से खराब कोविड रैपिड टेस्ट किट (Covid Rapid Test Kit) मिलने के बाद भारत ने दक्षिण कोरिया (South Korea) को 9.5 लाख कोविड किट का ऑर्डर दिया है. इस कंपनी की एक सहायक कंपनी मानेसर में किट बनाने की शुरुआत करेगी. आपको बता दें कि भारत ने चीन से 7 लाख कोविड रैपिड टेस्ट किटें मंगवाई थीं जिनकी गुणवत्ता काफी खराब है. इसे लेकर राज्यों से शिकायत मिलने के बाद भारत सरकार ने किटों को चीन वापस भेजने का फैसला लिया है. 
हमारे राजनयिक संवाददाता सिद्धांत सिब्बल से बात करते हुए, दक्षिण कोरिया की भारतीय दूत श्रीप्रिया रंगनाथन ने कहा कि इसका उद्देश्य 'सबसे सही कीमत, सबसे सही गुणवत्ता और सबसे कम समय में डिलिवरी लेना है'. उन्होंने कहा कि भारतीय विदेश सचिव, कोरियाई उप विदेश मंत्री और इंडो पैसिफिक देशों के बाकी सदस्य हर सप्ताह संकट से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर बात करते हैं. ये हैं बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल: दक्षिण कोरिया में भारतीय दूतावास किस तरह भारतीय नागरिकों की देखभाल कर रहा है?
जवाब: सियोल में हमारा दूतावास कोरिया में महामारी के शुरुआत से ही भारतीय समुदाय के साथ लगातार जुड़ा रहा है. दक्षिण कोरिया में हमारे 13000 लोग हैं, जिनमें बड़ी संख्या में छात्र हैं. कोरियाई सरकार की सलाह को ध्यान में रखते हुए हमने सोशल डिस्टेंसिंग और यात्रा आदि से बचने पर ध्यान दिया है. अपने समुदाय से हमेशा संपर्क में रहने के लिए हमने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का सहारा लिया है. अधिकारी हमारे सभी सामुदायिक संघों के प्रतिनिधि और छात्र संघ के नेताओं के साथ हर सप्ताह वीडियो कॉन्फ्रेंस करते हैं, ताकि हम उन्हें कोरियाई सरकार से समय-समय पर आने वाली सलाह के बारे में बता सकें और हम ये भी जान सकें कि वो किस तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं. हमने उन्हें भरोसा दिलाया है कि उनकी परेशानी के समय हम उनके साथ हैं. मुझे लगता है कि हम अपने लोगों को यह विश्वास दिलाने में कामयाब रहे हैं कि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. कोरिया में हमारे अपने समुदाय से कोई भी पॉजिटिव केस अब तक नहीं मिला है. हम अपने समुदाय के उन लोगों की सहायता करते रहे हैं जिन्हें मास्क और हैंड सैनिटाइजर की जरूरत है.
सवाल: भारत और दक्षिण कोरिया एकसाथ किस तरह कोविड संकट का सामना कर रहे हैं?
जवाब: मुझे लगता है कि संकट के इस समय में भारत और कोरिया गणराज्य ने एक-दूसरे के लिए बहुत कुछ किया है. हमारी सरकारें पहले से ही नियमित रूप से बातचीत कर रही हैं. हमारे प्रधानमंत्री और कोरियाई राष्ट्रपति ने 9 अप्रैल को बात की थी, जिसमें उन्होंने इस विषय पर एक दूसरे को अपना नजरिया समझाया, भारत और कोरिया में उठे संकट से निपटने के लिए समाधान पर चर्चा की और दोनों इस बात पर भी सहमत हुए थे कि जरूरत के समय दोनों सरकारें एक दूसरे को दी जाने वाली सभी आवश्यक सहायताएं बढ़ाएंगे. भारतीय विदेश सचिव, कोरियाई उप विदेश मंत्री और इंडो पैसिफिक देशों के बाकी सदस्य एक दूसरे से हर सप्ताह बातचीत करते हैं. हम संकट से जल्द बाहर आने के तरीकों पर बात करते हैं. जहां तक बात चिकित्सा आपूर्ति की हो, तो हमें लगता है कि COVID टेस्ट किट और सुरक्षात्मक कपड़ों के मामले में कोरियाई कंपनियां हमारी जरूरतों को पूरा कर सकती हैं. ICMR ने पहले ही कुछ कोरियाई कंपनियों के उत्पादों को मंजूरी दे दी है और हमारी केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार दोनों की एजेंसियों ने लगभग 9.5 लाख टेस्ट किट के ऑर्डर दिए हैं. हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले कुछ सप्ताह में दक्षिण कोरिया से हमें लगभग 2 मिलियन टेस्ट किट मिल जाएंगी. हम यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि कोरियाई कंपनियां भारत में ही निर्माण कार्य करें जिससे हमारी जरूरत की आपूर्ति भारत में ही हो जाए. एक कोरियाई कंपनी ने तो इस दिशा में शुरुआत भी कर दी है. इस कंपनी की भारतीय सहायक कंपनी ने अपने मानेसर प्लांट से COVID टेस्ट किट का निर्माण शुरू कर दिया है. इस कंपनी को 14 अप्रैल को ICMR से अपना लाइसेंस मिला और 20 अप्रैल से इसका निर्माण शुरू हो गया है. मुझे ये भी उम्मीद है कि भारतीय और कोरियाई अनुसंधान संस्थान और वैज्ञानिक एक साथ मिलकर काम करें जिससे इस महामारी से निपटने में दोनों ही सरकारों को मदद मिल सके.
सवाल: पीपीई या वेंटिलेटर की बात करें तो हम दक्षिण कोरिया से क्या-क्या खरीद रहे हैं?
जवाब: फिलहाल हमने कोरियाई कंपनियों से बड़ी संख्या में COVID 19 टेस्ट किट लेने की बात की है, और ये संभव इसलिए हो पाया है क्योंकि वहां कई कोरियाई कंपनियों को निर्माण के लिए सर्टिफिकेट मिला हुआ है और वो कोरियाई सरकार द्वारा निर्यात के लिए अधिकृत भी हैं. इसके अलावा हम यह भी देख रहे हैं कि कोरियाई कंपनियां हमारे देश की सुरक्षात्मक कपड़ों, मास्क, दस्ताने, वेंटिलेटर आदि जैसी जरूरतों को किस तरह पूरा कर सकती हैं. दूतावास उन जरूरतों के आधार पर काम कर रहा है जो ICMR द्वारा हमारे मंत्रालय को बताई जा रही हैं. हम उन कंपनियों को खोजने कोशिश कर रहे हैं जो योग्य हैं और जिनके पास इन चीजों की आपूर्ति करने के लिए आवश्यक पृष्ठभूमि और अनुभव है. हम यहां उपलब्ध सामानों, उनके तकनीकी निर्देश और उनकी कीमतों के बारे में लगातार ICMR को सूचित कर रहे हैं. और जब ICMR उन उत्पादों के बारे में बताता है जो सबसे उपयुक्त हैं, और जिनकी हमारे लोगों को जरूरत है, तो हम उन कंपनियों के साथ आगे बातचीत करते हैं जिससे हमें इन कंपनियों से सबसे बेहतर कीमतों और सबसे बेहतर क्वालिटी का सामान, कम से कम समय में मिल सके.  हम इसके लिए अपने मंत्रालय, आईसीएमआर, केंद्रीय सरकार की एजेंसियों और राज्य सरकार एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
सवाल: आप दक्षिण कोरिया के मॉडल के बारे में क्या सोचती हैं और क्या हमारे पास भी कोई भारतीय मॉडल है?
जवाब: मुझे लगता है कि महामारी से लड़ने के लिए दक्षिण कोरियाई सरकार की 3 T रणनीति- टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटिंग काफी असरदार रही है. उन्होंने अपने प्रयासों में तकनीक का काफी इस्तेमाल किया है, जिसमें आक्रामक तरीके से शुरुआत में ही टेस्ट करना शामिल है. उन्होंने अपने कोरोना पॉजिटिव मरीजों की गतिविधियां जानने के लिए जीपीएस, सीसीटीवी और उनके क्रेडिट कार्ड के डेटा का इस्तेमाल किया, और इस जानकारी को मैसेजिंग सिस्टम, स्थानीय कार्यालयों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया. इसका नतीजा ये हुआ कि कोरिया में नए आने वाले मामलों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से कम हो गई और आज रोजाना 10 से भी कम मामले सामने आते हैं, जो मुझे लगता है कि काफी अच्छे हैं. साथ ही साथ, हमने भारत में जिस तरह के कदम उठाए हैं, जिनमें जनता कर्फ्यू और पूरे देश में लॉकडाउन शामिल है इसे लेकर हमने कोरिया में सम्मान पाया है क्योंकि हमारी जनसंख्या के आकार को देखते हुअ, हमारे द्वारा किए जाने वाले प्रयासों से बहुत उम्मीदें हैं कि इन उपायों से हमें हमें देश में वायरस को रोकने में मदद मिलेगी. 
सवाल: भारतीय राजनयिक किस तरह काम कर रहे हैं, राजनयिकों के लिए भी ये आसान नहीं है?
जवाब: निश्चित रूप से दूतावास में हम सभी के लिए यह बेहद कठिन समय है. कोरियाई और अन्य लोगों तक पहुंचने के लिए हम जिन सामान्य तरीकों का इस्तेमाल करते थे वो इस स्थिति में संभव नहीं थे. हम बहुत अनुशासित और स्पष्ट रहे हैं कि हमें कोरियाई अधिकारियों द्वारा समय-समय पर दी जा रही सलाह का पालन करना है, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग, हैंड सैनिटाइजर, मास्क आदि का उपयोग करना शामिल है. जहां तक संभव हो, हमारे स्थानीय कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया है, जिससे पब्लिक ट्रांस्पोर्ट के जोखिम को कम किया जा सके और उन्हें घर पर ही सुरक्षित रखा जा सके. हम ज्यादा से ज्यादा काम करने के लिए तकनीक का उपयोग कर रहे हैं ताकि हम उस गति को न खोएं जो हमने पिछले कुछ महीनों में काम करके पाई है. हमने तकनीक के जरिए न केवल भारतीय समुदाय बल्कि देश भर में फैले हुए लोगों के साथ बातचीत की है, भारत वापस आने वाले लोगों के साथ हमने वीडियो कॉन्फ्रेंस और टेलीफोन पर बात की है. इसके अलावा हमारा सांस्कृतिक केंद्र भी बहुत सक्रीय बना हुआ है. हम ऑनलाइन योग और डांस क्लास करवा रहे हैं. हम भारतीय खाना पकाने के लिए ऑनलाइन क्लास उपलब्ध करवाने की भी कोशिश कर रहे हैं. हमारे योग शिक्षक भी दूतावास में सभी को स्वस्थ रखने के लिए कोशिशें कर रहे हैं. हम हर दिन दोपहर के भोजन से ठीक पहले योग करते हैं ताकि हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकें.
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