गरीबी से जूझ रहे इस युवक ने मुंबई में खोले 8 बिरयानी रेस्टोरेंट्स, करोड़ों का है टर्नओवर success-story-of-aasif-ahmad
अकसर लोगों के मुंह से ऐसा कहते हुए सुना जाता है कि भाई हम तो ठहरे गरीब, हमसे क्या हो पायेगा? विश्वास कीजिए वो कभी कुछ नहीं कर सकते हैं. इंसान पैसों से गरीब हो सकता है, पर इरादों से नहीं. लेकिन जो लोग खुद को हर तरह से गरीब मान चुके हैं, उनका कुछ नहीं हो सकता. आपको बताते हैं एक ऐसे आदमी की कहानी, जो पैसों से गरीब तो था, पर इरादों से बहुत अमीर.

आसिफ़ अहमद का जन्म चेन्नई के पल्ल्वरम में एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था. घर की हालत देखते हुए इन्हें 12 साल की उम्र से ही काम करना पड़ा. उस वक़्त गुज़ारे के लिए आसिफ़ अख़बार और पुरानी किताब बेचा करते थे. कुछ खास फ़ायदा होता न देख फिर इन्होंने जूतों का व्यवसाय करना शुरू किया. पहले तो इन्हें इसमें सफ़लता मिली, पर अचानक ही ये धंधा ठप्प हो गया. इसके बाद इन्हें अपना और परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया. फिर आसिफ़ शादियों और पार्टियों में बिरयानी बनाने का काम करने लगे.

किस्मत आजमाने के इरादे से फिर आसिफ़ मुंबई आ गये. आसिफ़ के पास उस वक़्त मात्र 4 हज़ार रुपए थे. इन पैसों से वो मुंबई की सड़कों पर बिरयानी का ठेला लगाने लगे. उनकी बिरयानी की खुशबु लोगों तक पहुंचने लगी और उनकी शहर में चर्चा होने लगी. कमाई अच्छी होने लगी, तो अब आसिफ़ ने किराये पर एक कमरा ले लिया और वहां से बिरयानी बेचनी शुरू कर दी.

मुंबई में अब वो 'आसिफ बिरयानी' वाले के नाम से पहचाने जाने लगे थे. आमदनी और बढ़ने पर उन्होंने एक आउटलेट खोल लिया और फिर बैंक से लोन लेकर खुद के 8 बिरयानी रेस्टोरेंट खोल लिए. आज आसिफ़ अपनी खुद की एक प्राइवेट कम्पनी चलाते हैं और उसका वार्षिक टर्नओवर करोड़ों के पार पहुंच चुका है.

आसिफ़ जैसे स्वाभिमानी लोगों के हौसलों को सलाम है, जो बिना अपनी किस्मत को कोसे मंज़िल तक पहुंच गये. आज कल के युवाओं के लिए आसिफ़ की कहानी एक प्रेरणा है.

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