चुनावी चंदे वाले इलेक्टोरल बॉन्ड में कथित घोटाले को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा, संसद में भारी हंगामा
कांग्रेस सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इलेक्टोरल बॉन्ड पर जवाब मांग रही है. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि मोदी सरकार ने नियमों में ऐसे बदलाव किया कि जिसका सीधा फायदा उनकी पार्टी और सरकार को मिल रहा है.
नई दिल्ली: राजनीतिक दल जिस इलेक्ट्रोरल बॉन्ड के जरिए चंदा लेते हैं, उसे लेकर आज संसद के दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ है. हंगामे की वजह से राज्यसभा की कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने आरबीआई की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए इलेक्ट्रोरल बॉन्ड का सिस्टम लागू किया ताकि बीजेपी को फायदा पहुंचाया जा सके.
पीएम मोदी से जवाब मांग रही है कांग्रेस
दरअसल कांग्रेस आरटीआई से हुए उस खुलासे को लेकर हमलावर है, जिसमें आरबीआई ने इलेक्ट्रोरल बॉन्ड के जरिए कालेधन खपाने की आशंका जाहिर की थी. कांग्रेस सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इलेक्टोरल बॉन्ड पर जवाब मांग रही है. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि मोदी सरकार ने नियमों में ऐसे बदलाव किया कि जिसका सीधा फायदा उनकी पार्टी और सरकार को मिल रहा है.
सभापति एम वेंकैया नायडू ने स्वीकार नहीं किए नोटिस
आज कांग्रेस के हंगामे की वजह से राज्यसभा में शून्यकाल नहीं हो पाया. सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए थे. इसके बाद उन्होंने बताया कि कांग्रेस के मोहम्मद अली खान, बी के हरिप्रसाद और वाम दलों के सदस्यों के के रागेश, इलामारम करीम और टी के रंगराजन आदि ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश और चुनावी बॉण्ड के मुद्दे पर आरबीआई की आपत्ति चर्चा करने के लिए कार्य स्थगन नोटिस दिए हैं. लेकिन उन्होंने इन नोटिस को स्वीकार नहीं किया.
कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी कह रही है कि कांग्रेस को पारदर्शिता रास नहीं आ रही है. एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा है कि अब जो भी चंदा आ रहा है और जो भी उसको दे रहा है, वह टैक्स भरता है और पूरी पारदर्शिता के साथ चंदा दे रहा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सबसे बड़ा राजनीतिक दल है तो स्वाभाविक है कि उसके पास आने वाला चंदा भी सबसे ज्यादा होगा.
क्या है इलेक्टोरल बांड
2017 में केंद्र सरकार ने राजनीतिक चंदे की प्रक्रिया को साफ-सुथरा बनाने के नाम पर चुनावी बांड का कानून बनाया. इसके तहत स्टेट बैंक के चुनिंदा ब्रांच से हर तिमाही के शुरुआती 10 दिनों में बांड खरीदने और उसे राजनीतिक पार्टी को बतौर चंदा देने का प्रावधान है. कहा गया कि इससे कैश में मिलने वाले चंदे में कमी आएगी. बैंक के पास बांड खरीदने वाले ग्राहक की पूरी जानकारी होगी और इससे पारदर्शिता बढ़ेगी.

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