एक ऐसा अनोखा स्टार्ट-अप, जहां नेत्रहीन महिलाएं लोगों को दिखा रही हैं दुनिया के नज़ारे blind-women-help-travellers-see-world
भले ही आपको यह एक काल्पनिक कहानी लगे, लेकिन यह सच है कि हम सबके बीच एक ऐसा स्टार्ट-अप सामने आया है, जिसमें नेत्रहीन लड़कियां दुनिया को राह दिखा रही है. जो नज़रें आज दुनिया के नज़ारों को देख नहीं सकती, वही नज़रें अब लोगों को दुनिया दिखा रही है.
बात आज से एक साल पहले दीवाली की है. दीवाली के मौके पर कॉरपोरेट ट्रेनर आकाश भारद्वाज नामक शख़्स शॉपिंग कर रहे थे. जब वे शॉपिंग कर रहे थे, तभी उनकी नज़र अपने पास खड़ी एक नेत्रहीन महिला पर पड़ी, जो गुब्बारे बेच रही थी. उसकी गोद में एक छोटा बच्चा भी था.

जब आकाश ने उस महिला से बातचीत की तो पता चला कि उसके पड़ोसी ने उस पर तेजाब फेंक दिया था, जिसके बाद उसके पति ने भी उसे छोड़ दिया था. पहले वह सेक्यूरिटी गार्ड की नौकरी करती थी, लेकिन एसिड अटैक के बाद उसकी नौकरी भी चली गई.
फिर चेहरे पर उदासी लिये वह महिला आकाश से कहती है- जिस औरत को मुंह देखकर निकाल दिया, उसको कौन नौकरी देगा?
बस इसी एक वाक्य ने आकाश भारद्वाज के एक नए सफर की शुरूआत कर दी. इसी घटना से प्रेरित होकर आकाश ने इस तरह की महिलाओं और लड़कियों के लिए कुछ बेहतर करने की ठानी.
भारद्वाज ने एक स्टार्ट-अप शुरू किया. उन्होंने एक ट्रैवल फर्म 'खास' लॉन्च की और साथ ही साथ एक गिफ्ट कुरियर फर्म 'खास उपहार' की स्थापना की. इस फर्म की सबसे खास बात ये है कि इसे नेत्रहीन लड़कियों-महिलाओं द्वारा संचालित किया जाता है.

गौरतलब है कि 6 महीने पहले इस व्यवसाय को शुरू किया गया था. आकाश ने इस स्टार्ट-अप बिजनेस के लिए अपनी मोटरसाइकिल के साथ-साथ अपनी पत्नी की ज्वेलरी भी बेच दी थी. लेकिन आज इस फर्म के पास पांच ऐसी नेत्रहीन महिलाएं निर्मल, कमलेश, दिप्ती, अर्चना और प्रेमा हैं, जो लोगों को दुनिया दिखाने का काम कर रही हैं.
भारद्वाज एक कॉरपोरेटर ट्रेनर हैं और साथ ही साथ एक फ्रीलांस ट्रैवल एजेंट भी हैं. उनके मुताबिक, कंपनी में नियुक्ति से लेकर, प्रेजेंटेशन तैयार करने और ग्रुप्स को टूर पर ले जाने के अलावा कुरियर गिफ्ट तैयार करने तक के सभी काम ये महिलाएं ही करती हैं.
सबसे खास बात है कि ये महिलाएं एक सॉफ्टवेयर JAWS ( Job Access with Speech) की मदद से अपना काम करती हैं. उन्होंने स्मार्टफोन का भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है और पिछले महीने इनलोगों ने 20-25 अपॉइंटमेट फिक्स किए और दो टूर फाइनल भी किए.
अगर इस टीम की सदस्यों की पढ़ाई-लिखाई की बात करें,तो इस टीम की सदस्य 34 वर्षीय अर्चना गृह विज्ञान में मास्टर कर चुकी हैं. दिप्ती राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. प्रेमा दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक कर रही हैं. ये सभी यहां अपने काम और ऑफिस से काफ़ी खुश हैं.

अब आकाश की योजना है कि वह अगले दो महीने में एसिड अटैक की 4 पीड़ित महिलाओं को रोजगार दे सकें. वे अपनी टीम को चलाने के लिए फंड जुटाने की जुगत में भी हैं ताकि अपने स्टॉफ के लिए उपकरण खरीद सकें. दरअसल, इनका सारा काम दिल्ली के लक्ष्मीनगर स्थित एक छोटे से ऑफिस से संचालित होता है.

'Irrfan Khan ने मुंबई के हॉस्पिटल में तोड़ा दम, पूरे फिल्म जगत में छाई शोक की लहर
घर में हैं कोरोना मरीज तो इन 7 तरीकों से रखें उनका ख्याल corona safety tips
इस चीज से ज्यादा देर नहीं लड़ पाता कोरोना, हर वक्त रखें अपने साथ corona safety tips
जानिए Lockdown के दौरान क्या कर रहे हैं आपके पसंदीदा सितारे
Railway के 64 हजार पदों के लिए परीक्षा दी है तो फिर आ गई बड़ी खुशखबरी
No comments: