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इस शहर में मोहर्रम पर भगवान श्रीकृष्ण को पहले सलामी दी जाती है, फिर निकलता है ताजिया जुलूस tazias-pay-homage-to-Krishna-in-MP



भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की उपाधि प्राप्त है, लेकिन साम्प्रदायिक घटनाएं इसकी सेक्युलर बुनियाद को हिलाने की कोशिश करती रहती हैं. हर दिन देश के किसी कोने से सांप्रदायिक दंगों की भनक ज़रूर सुनाई देती है. बावजूद इसके, इस देश में कुछ उदाहरण ऐसे भी हैं, जो प्रेम, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक सौहार्द्र की अलख जगाए रखते हैं.

कई बार देश के अलग-अलग हिस्सों में मोहर्रम के मौके पर तजिया जुलूस के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा की खबरें आती हैं, लेकिन इन सबके बीच मध्य प्रदेश का एक छोटा नगर, भांदर लोगों को वर्षों से धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक सद्भाव की सीख दे रहा है. यहां मोहर्रम पर निकलने वाले ताजिया जुलूस से पहले मुस्लिम समुदाय के लोग वहां के श्री कृष्ण मंदिर में जाकर उनकी पूजा करते हैं. फिर इसके बाद ताजिया का जुलूस निकलता है. भले ही यह चंद लम्हों के लिए होता हो, मगर यह समाज को एक सूत्र में पिरोने की वर्षों पुरानी परंपरा है.

Representational image source: timesofindia

सबसे खास बात ये है कि इस चतुर्भुज श्री कृष्ण मंदिर का निर्माण भी एक मुस्लिम ने ही करवाया था.

लगभग 200 सालों से, जब से यह मंदिर बना है, तब से यह परंपरा जारी है. हर साल ताजिया कृष्ण भगवान के मंदिर के सामने रुकता है और सलामी देकर ही आगे बढ़ता है. यह सदियों पुरानी परंपरा इस बुधवार को भी देखने को मिली. गौरतलब है कि जब कृष्ण भगवान की सवारी निकलती है, तब भी यही परंपरा निभाई जाती है और हर मुस्लिम परिवार का कोई न कोई सदस्य आकर उस सवारी को कंधा ज़रूर देता है.

Representational image source: jagran
स्थानीय ताजिया कमेटी के अध्यक्ष अब्दुल जबर के मुताबिक, 'यह परंपरा सालों से चली आ रही है. इस शहर में लगभग 40 ताजिये बनते हैं और सभी पहले कृष्ण मंदिर के सामने कुछ समय के लिए रुककर सलामी देते हैं और फिर आगे बढ़ते हैं.'
मंदिर की तीसरी पीढ़ी के पुजारी रमेश पांडा के मुताबिक, 'इस मंदिर को हज़ारी नाम के एक स्थानीय मुस्लिम ने बनवाया था. जैसा कि हम लोगों को बताया गया है, हज़ारी ने सपने में चतुर्भुज (कृष्ण) भगवान को देखा था. भगवान कृष्ण ने कहा था कि मैं एक तालाब के आस-पास हूं. जब सुबह वह तालाब के पास गया, तो कृष्ण की मूर्ति देखकर आश्चर्यचकित हो गया. इस मूर्ति का वजन 4 टन था, बावजूद इसके हज़ारी मूर्ति को अपने घर लेकर आया. कुछ दिन बाद हजारी के सपने में फिर भगवान कृष्ण आए और उन्होंने कहा कि उन्हें घर में न रखा जाए. इसके तुरंत बाद हजारी ने मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया.'

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राजनीति और मौकापरस्ती इस देश को भले ही कितना भी बांटना चाहे, ये जनता गाहे-बगाहे सबको दिखा देती है कि भारत को अनेकता में एकता का देश मात्र जुमलों  में नहीं कहा जाता. 


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