दशहरा 2017: संगीत में थी रावण की रुचि, जानिए दशानन से जुड़ी बातें Ravan Unknown Interesting Hidden Mythology facts
दशहरा का त्योहार नवरात्रि के 9 दिन पूरे होने के बाद 10वें दिन मनाया जाता है इसे विजयादशमी भी कहा जाता है। विजयदशमी का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। रावण को हमेशा से बुराई के प्रतीक रूप में देखा गया लेकिन रावण में बहुत सारी खूबियां भी थी। जिसकी वजह से देश के कई हिस्सों में आज भी रावण की पूजा होती है। आइए जानते है रावण की 10 हैरान करने वाली बातें।
महान पंडित और वेदों का ज्ञाता
रावण एक ऋषि पिता और राक्षसी माता का पुत्र था। वह बहुत बड़ा पंडित था। रावण वेद और संस्कृत का परम ज्ञानी था उसे साम में बहुत ही निपुणता हासिल थी। उसके इसी ज्ञान के चलते भगवान राम ने उससे विजय यज्ञ करवाया था।
संगीत और आयुर्वेद में महारत
रावण ने अर्क प्रकाश नाम से एक पुस्तक की रचना भी की थी जिसमें आयर्वेद से जुड़ी तमाम तरह की जानकारियां लिखी थी। इसके अलावा उसे संगीत का भी ज्ञान था। रावण को रुद्रवीणा बजाने में रावण को महारत हासिल थी। रावण जब भी निराश और हताश होता था तो वह रुदवीणा बजाया करता था।
ग्रह-नक्षत्र का जानकार
रावण ग्रह-नक्षत्रों का इतना बड़ा जानकार था कि उसने अपने तप और बल से सभी नौ ग्रहों को अपने वश में कर लिया था । दरअसल रावण ने अपने पुत्र मेघनाथ के जन्म से पहले ही सभी ग्रह-नक्षत्रों को अपने वश में कर लिया था ताकि उसके पुत्र को अमरता हासिल हो जाए। रावण की शक्ति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता कि उसने शनि देव को भी कैद कर लिया था।
मायावी और तंत्रशास्त्र का ज्ञाता
रावण बड़ा ही मायावी और तंत्रशास्त्र का जानकार था उसने अपनी मायावी शक्ति से माता सीता का अपहरण कर लंका में कैद कर लिया था। ऐसा माना जाता है रावण के दस सिर थे लेकिन जानकारो के अनुसार रावण के दस सिर नहीं थे बल्कि अपनी तंत्र विद्या से दस सिर का भ्रम पैदा कर देता था जिसके कारण से उसे दशानन कहते है।
रावण बड़ा ही मायावी और तंत्रशास्त्र का जानकार था उसने अपनी मायावी शक्ति से माता सीता का अपहरण कर लंका में कैद कर लिया था। ऐसा माना जाता है रावण के दस सिर थे लेकिन जानकारो के अनुसार रावण के दस सिर नहीं थे बल्कि अपनी तंत्र विद्या से दस सिर का भ्रम पैदा कर देता था जिसके कारण से उसे दशानन कहते है।
माता सीता को छुआ तक नहीं
रावण ने सीता का हरण कर लिया था लेकिन इस दौरान उसने अपने पौरुष का गलत फायदा नहीं उठाया, कभी भी सीता को हाथ नहीं लगाया।
रावण ने सीता का हरण कर लिया था लेकिन इस दौरान उसने अपने पौरुष का गलत फायदा नहीं उठाया, कभी भी सीता को हाथ नहीं लगाया।
सबसे बड़ा शिवभक्त
रावण भगवान शिव का परम भक्त था। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई बार कठोर तप किया था। उसी शिवभक्ति से भगवान राम भी प्रसन्न थे। रावण ने शिवतांडव स्त्रोत की रचना की, जो आज भी शिव अराधना का सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है।
रावण भगवान शिव का परम भक्त था। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई बार कठोर तप किया था। उसी शिवभक्ति से भगवान राम भी प्रसन्न थे। रावण ने शिवतांडव स्त्रोत की रचना की, जो आज भी शिव अराधना का सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है।
नाभि में अमृत
रावण की नाभि में अमृत था। इसी कारण से रावण का एक सिर कटने के बाद पुनः दूसरा सिर आ जाता था और वह जीवित हो जाता था।
रावण की नाभि में अमृत था। इसी कारण से रावण का एक सिर कटने के बाद पुनः दूसरा सिर आ जाता था और वह जीवित हो जाता था।
बहन शूर्पणखा का रक्षक
रावण ने भाई का धर्म का निभाते हुए अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए सीता का हरण किया था।
रावण ने भाई का धर्म का निभाते हुए अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए सीता का हरण किया था।
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