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महाराष्‍ट्र के सीएम के साथ अक्षय लॉन्‍च करेंगे बच्‍च‍ियों के लिए ‘पैड बैंक’ pad man se pad bank tak



बॉलीवुड सुपरस्टार अक्षय कुमार के लिए ‘पैडमैन’ अब महज एक फिल्म नहीं रही है बल्कि एक आंदोलन का रूप ले चुकी है. देखा जाए तो इंडस्ट्री में भी उन्होंने अलग-अलग दौर में ऐसे अवतार अपनाये हैं जिनका मुकाबला नहीं है.

खिलाड़ी सीरीज में जबरदस्त एक्शन पैक्ड मूवीज देने के बाद उन्होंने पूरा एक दौर ही कॉमेडी के नाम कर दिया था. और अब पिछले कुछ समय से वो देशभक्ति से जुड़ी ऐसी फिल्में कर रहे हैं कि उन्हें हार्ड-कोर इंडियन का खिताब भी अगर दे दिया जाए तो शायद इसमें कुछ गलत नहीं होगा. ‘गब्बर इज बैक’, ‘रुस्तम’, ‘एयरलिफ्ट’, ‘बेबी’, ‘जॉली एलएलबी 2’ और ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’ के बाद सच्ची देशभक्ति पर आधारित है उनकी अगली फिल्म ‘पैडमैन’. इस फिल्म को उन्होंने डेडिकेट किया है गांव-कस्बों और दूर-दराज के इलाकों में मासिक धर्म के दौरान अस्वच्छता और नाज़ुक तबियत से जूझती महिलाओं को, जिन्हें सैनिटरी पैड्स आसानी से मुहैय्या नहीं कराए जाते. यह फिल्म प्रेरित है अक्षय की पत्नी ट्विंकल खन्ना के बेस्टसेलर नॉवेल ‘द लीजेंड ऑफ लक्ष्मी प्रसाद’ से और इसे डायरेक्ट किया है आर बाल्की ने.
इस फिल्म के रिलीज होने के बाद भी अक्षय महाराष्ट्र के तमाम जिलों में ग्रामीण महिलाओं के लिए कम कीमत पर उपलब्ध होने वाले सैनिटरी पैड्स की जरुरत को लेकर प्रचार जारी रखेंगे और जिलों में मासिक धर्म की स्वच्छता के लिए प्रयास करेंगे. 9 फरवरी को रिलीज हो रही फिल्म ‘पैडमैन’ के साथ ही अक्षय कुमार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ मिलकर एक तरह का ‘पैड बैंक’ भी लॉन्च कर रहे हैं जिसका लाभ पूरे राज्य की बेटियां उठा सकेंगीं. पीपिंगमून से बातचीत के दौरान अक्षय ने बताया , ‘इसका उद्देश्य महाराष्ट्र को देश का ऐसा पहला राज्य बनाना है जहां मासिक धर्म के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों और मलिन बस्तियों में रहने वाली हर महिला को सैनिटरी पैड्स की सुविधा हो.’
उनकी इस पहल को नाम दिया गया है ‘पैड बैंक फॉर डॉटर्स ऑफ महाराष्ट्र’ और राज्य सरकार इस प्रयास की घोषणा आगामी हफ्ते में करेगी. सैनिटरी पैड्स दान करके हर कोई शख्स इस आंदोलन से जुड़ सकता है. दान किए जाने वाले इन सैनिटरी पैड्स को रूरल और स्लम एरियाज में बांटा जाएगा.
जब अक्षय से पूछा गया कि क्या महाराष्ट्र के बाद वो इस मिशन के तहत सैनिटरी नैपकिन्स पर जीएसटी की दर घटाने के लिए केंद्र सरकार से भी अपील करेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि महिलाओं के पास इनकी मुफ्त पहुंच होनी चाहिए क्यूंकि मासिक धर्म स्वच्छता कोई लक्ज़री या विलास की चीज नहीं है बल्कि मूलभूत जरुरत है.’
अक्षय को उम्मीद है कि उनकी पहल ‘पैड बैंक फॉर डॉटर्स ऑफ महाराष्ट्र’ को अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाया जाएगा. हमारे देश में 82 प्रतिशत महिलाओं को सैनिटरी पैड्स उपलब्ध नहीं होते हैं. उन्हें मासिक धर्म के दौरान न जाने किन किन तकलीफों और मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. हर तरह से इस पहल को आगे लेकर जाना चाहिए.

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