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किस तरह सस्‍ता होगा आपका होम और कार लोन, EMI में बदलाव के गणित को इस तरह समझिए

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है. अब यह 6.50 फीसदी से घटकर 6.25 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है. भारतीय रिजर्व बैंक के इस फैसले से आपके ऊपर होमलोन और कार लोन की ईएमआई का बोझ कम पड़ेगा.



नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है. अब यह 6.50 फीसदी से घटकर 6.25 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है. भारतीय रिजर्व बैंक के इस फैसले से आपके ऊपर होमलोन और कार लोन की ईएमआई का बोझ कम पड़ेगा. रेपो रेट घटने से आपके लिए बैंकों से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा और आपकी ईएमआई भी घट जाएगी. आपकी ईएमआई कितनी घटेगी इसके लिए अपने लोन की मूल राशि, ब्याज दर, कितने साल के लिए लोन लिया है और फिलहाल ईएमआई कितनी है, इसके आधार पर कैलकुलेट हो सकता है. रेपो रेट घटने पर आपकी होने वाली बचत को समझने के लिए आपका यह जानना भी जरूरी है कि रेपो रेट होता क्या है.
होम लोन EMI का बोझ
होम लोनअवधिमौजूदा ईएमआईनई ईएमआईसालाना बचत
30 लाख रुपये25 साल24,460.0023955.006060 रुपये
नोट: SBI के मौजूदा होम लोन पर ब्याज दर 8.65 के आधार पर (0.25% घटे ब्याज के साथ नई EMI)

इतनी घटेगी कार लोन की ईएमआई
कार लोनअवधिमौजूदा ईएमआईनई ईएमआईसालाना बचत
5 लाख रुपये 5 साल10,428.00 रुपये10,367.00732 रुपये
नोट: SBI के मौजूदा कार लोन पर ब्याज दर 9.20 के आधार पर (0.25% घटे ब्याज के साथ नई EMI)
आम आदमी को मिलेगी राहत
रेपो रेट घटने का मतलब है कि अब बैंक जब भी आरबीआई से फंड लेंगे, उन्हें नई दर पर फंड मिलेगा. सस्ती दर पर बैंकों को मिलने वाले फंड से बैंक अपने कस्टमर्स को सस्ती दर पर लोन देंगे. इससे आम आदमी को सस्ता कर्ज मिलेगा और उसकी ईएमआई में भी कमी आएगी. यही कारण है जब भी रेपो रेट बढ़ता है तो आपके कर्ज की ईएमआई बढ़ जाती है और जब रेपो रेट घटता है तो ईएमआई घट जाती है. फ्लोटिंग वाले कर्ज की ईएमआई भी कम होने की उम्मीद है. RBI ने रेपो रेट 0.25% घटाकर 6.50% से 6.25 प्रतिशत कर दिया है.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. दरअसल जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई से पैसे लेते हैं. आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है. यही रेट रेपो रेट कहलाता है. इसे भारतीय रिजर्व बैंक हर तिमाही के आधार पर तय करता है. फिलहाल चार साल बाद यह बढ़ाया गया है.

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