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कोरोना के हल्के और बहुत हल्के मामलों में छुट्टी से पहले जांच की जरूरत नहीं: स्वास्थ्य मंत्रालय

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 मामलों के लिए अस्पताल से छुट्टी दिए जाने की नीति में बदलाव किया है. अब तक के नियमों के अनुसार, किसी मरीज को तब छुट्टी दी जाती थी जब 14 दिन पर उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आती थी और इसके बाद फिर 24 घंटे के अंतराल में रिपोर्ट निगेटिव आती थी.



नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 मामलों के लिए अस्पताल से छुट्टी दिए जाने की नीति में बदलाव किया है. अब कोरोना वायरस संक्रमण के केवल गंभीर मरीजों की ही अस्पताल से छुट्टी दिए जाने से पहले जांच की जाएगी.
नये बदलावों के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों में गंभीर बीमारी विकसित होती है या रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है तो ऐसे मरीजों को अस्पताल द्वारा छुट्टी देने से पहले आरटी-पीसीआर जांच करानी होगी. कोविड-19 के हल्के और बहुत हल्के मामलों में लक्षणों के समाप्त होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दिए जाने से पहले जांच कराये जाने की जरूरत नहीं होगी.
अब तक के नियमों के अनुसार, किसी मरीज को तब छुट्टी दी जाती थी जब 14 दिन पर उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आती थी और इसके बाद फिर 24 घंटे के अंतराल में रिपोर्ट निगेटिव आती थी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कोविड-19 से मृतकों की संख्या 1,981 हो गई है और शनिवार को इसके मामलों की संख्या 59,662 पहुंच गई है. पिछले 24 घंटे में 95 और लोगों की मौत हुई और इस वायरस के 3,320 नए मामले सामने आये हैं.
संशोधित नीति में कहा गया है कि यदि मरीज का बुखार तीन दिन में ठीक हो जाता है और अगले चार दिन मरीज (ऑक्सीजन की मदद के बिना) ‘सैचुरेशन’ 95 प्रतिशत से अधिक बनाए रखता है तो इस तरह के मरीज को 10 दिन में अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है.
मंत्रालय ने कहा, ‘अस्पताल से छुट्टी से पहले जांच की आवश्यकता नहीं होगी.’
छुट्टी दिए जाने के समय मरीज को दिशानिर्देशों के अनुसार सात दिन घर में पृथक रहने को कहा जायेगा. कोविड-19 के हल्के लक्षणों वाले मरीजों को कोविड देखभाल केंद्र में भर्ती किया जायेगा जहां उनके तापमान की नियमित जांच की जायेगी.
संशोधित नीति में कहा गया है, ‘लक्षण शुरू होने के 10 दिन बाद और तीन दिन तक बुखार नहीं होने के बाद रोगी को छुट्टी दी जा सकती है. छुट्टी दिए जाने से पहले मरीज को जांच की जरूरत नहीं होगी.’
केंद्र से छुट्टी दिए जाने के बाद यदि मरीज में फिर से बुखार, खांसी या सांस लेने में दिक्कत संबंधी लक्षण सामने सामने आते है तो वे कोविड देखभाल केंद्र या राज्य हेल्पलाइन या 1075 पर संपर्क कर सकते हैं.

कोविड-19 की जांच बढ़कर प्रतिदिन 95,000 हुई: हर्षवर्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शनिवार को कहा कि कोविड-19 की जांच बढ़कर प्रतिदिन लगभग 95,000 हो गई है, जबकि 332 सरकारी और 121 निजी प्रयोगशालाओं में अब तक कुल 15 लाख 25 हजार 631 जांच हुई है.
स्वास्थ्य मंत्री ने पूर्वोत्तर के राज्यों में कोविड-19 स्थिति और इसके प्रसार को रोकने के लिये उठाये गये कदमों की समीक्षा की. उन्होंने चबाने वाले तंबाकू का उपयोग रोकने और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने को निषिद्ध करने के लिये ठोस कदम उठाये जाने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इससे संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी.
अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम के प्रतिनिधियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक में हर्षवर्धन ने कोविड-19 से निपटने में सभी राज्यों के समर्पण की सराहना की.
बयान में हर्षवर्धन के हवाले से कहा गया है, ‘यह एक बड़ी राहत है और यह देखना बहुत सुखद है कि पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्यों में ‘ग्रीन जोन’ हैं. आज की तारीख में सिर्फ असम और त्रिपुरा में ही कोविड-19 के मामले रह गये हैं. अन्य सभी राज्य ग्रीन जोन में हैं. आइए हम ध्यान केंद्रित करें और ‘ऑरेंज जोन’ को ग्रीन जोन में तब्दील करने के लिये साथ मिल कर काम करें.’
उन्होंने कुछ राज्यों में चबाने वाले तंबाकू का काफी मात्रा में उपभोग होने और सार्वजनिक स्थानों पर थूके जाने की समस्या के प्रति भी आगाह किया.
हर्षवर्धन ने चबाने वाले तंबाकू के उपयोग को प्रतिबंधित करने वाले राज्यों की कोशिशों की सराहना करते हुए कहा, ‘इस दिशा में कठोर कदम उठाये जाने की जरूरत है.’
स्वास्थ्य मंत्री ने कोविड-19 की जांच के बारे में कहा, ‘देश में जांच बढ़ गई है और 332 सरकारी एवं 121 निजी प्रयोगशालाओं की बदौलत यह प्रतिदिन 95,000 हो गई है. अभी तक कोविड-19 की 15 लाख 25 हजार 631 जांच हुई है.’
शनिवार सुबह आठ बजे तक त्रिपुरा में 118, असम में 59, मेघालय में 12, मणिपुर में दो जबकि मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के एक-एक मामले सामने आये हैं. मेघालय और असम में अभी तक एक-एक मरीज की मौत हुई है.
बयान में कहा गया है कि जिन राज्यों की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं हैं, उन्हें सीमावर्ती इलाकों में प्रवेश स्थानों पर सभी लोगों की निगरानी के लिये उपयुक्त कदम उठाने की जरूरत है.

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