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कोरोना काल में 5वां संबोधन, जानें PM के इस बार के संदेश में क्‍या रही खास बात





प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर कोई घोषणा नहीं की. माना जा रहा था कि वे इस संबंध में कोई ऐलान कर सकते हैं.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर कोई घोषणा नहीं की. माना जा रहा था कि वे इस संबंध में कोई ऐलान कर सकते हैं. इसके बजाये उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में संभावित क़दमों का जिक्र किया. कोरोना काल में यह PM का पांचवां संबोधन था. इससे पहले उन्होंने अप्रैल में देश को संबोधित किया था और लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री के हर संबोधन में देश और देशवासियों के लिए कुछ न कुछ ऐसा होता है, जो विकास, स्थिरता और राष्ट्र निर्माण के लिए बेहद जरूरी है. आइये नजर डालते हैं कि उनके इस संबोधन में क्या खास रहा. 
थकना हमें मंजूर नहीं
PM मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना से लड़ते हुए हमें काफी समय हो गया है, लेकिन थकना, हारना, टूटना-बिखरना, मानव को मंजूर नहीं है. सतर्क रहते हुए, ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए, अब हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है. जब हम कोरोना से पहले और बाद के कालखंडो को भारत के नजरिए से देखते हैं तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की हो, ये हमारा सपना नहीं, ये हम सभी की जिम्मेदारी है.
संकट में मिला अवसर 
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आपदा भारत के लिए संकेत, संदेश और अवसर लेकर आई है. जब कोरोना शुरू हुआ तब देश में PPE नहीं बनती थीं और N95 मास्क का भी ज्यादा उत्पादन नहीं होता था, लेकिन आज हम हर रोज़ 2 लाख PPE और 2 लाख N95 मास्क बना रहे हैं. क्योंकि हमने आपदा को अवसर में बदल दिया. विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है- "आत्मनिर्भर भारत".  
हमारी प्रगति में विश्व की प्रगति
 विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन, आशा की किरण नजर आता है. भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार, उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है.  भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता. भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है.  जो पृथ्वी को मां मानती हो, वो संस्कृति, वो भारतभूमि, जब आत्मनिर्भर बनती है, तब उससे एक सुखी-समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है.  भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है. भारत के लक्ष्यों का प्रभाव, भारत के कार्यों का प्रभाव, विश्व कल्याण पर पड़ता है. जब भारत खुले में शौच से मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर बदल जाती है. टीबी हो, कुपोषण हो, पोलियो हो, भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही पड़ता है.
दुनिया को हमसे आशा 
 इंटरनेशनल सोलर अलायंस, ग्लोबर वॉर्मिंग के खिलाफ भारत की सौगात है. इंटरनेशनल योगा दिवस की पहल, मानव जीवन को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए भारत का उपहार है. जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही दुनिया में आज भारत की दवाइयां एक नई आशा लेकर पहुंचती हैं. इन कदमों से दुनिया भर में भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा होती है, तो हर भारतीय गर्व करता है. दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता है, मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है. सवाल यह है - कि आखिर कैसे? इस सवाल का भी उत्तर है- 130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प.
आत्मनिर्भर भारत के पांच पिलर
आज हमारे पास साधन हैं, हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है, हम बेस्ट प्रोडक्ट  बनाएंगे, अपनी गुणवत्ता और बेहतर करेंगे, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे, ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे. यही हम भारतीयों की संकल्पशक्ति है. हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं और आज तो चाह भी है, राह भी है. ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना. आत्मनिर्भर भारत की ये भव्य इमारत, पाँच पिलर पर खड़ी होगी. पहला पिलर इकॉनॉमी (Economy) एक ऐसी इकॉनॉमी जो Incremental change नहीं बल्कि Quantum Jump लाए. दूसरा पिलर इन्फ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) एक ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर जो आधुनिक भारत की पहचान बने.  तीसरा पिलर- हमारा सिस्टम (System) एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहीं, बल्कि 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली Technology Driven व्यवस्थाओं पर आधारित हो.  चौथा पिलर- हमारी डेमोग्राफी (Demography) दुनिया की सबसे बड़ी Democracy में हमारी Vibrant Demography हमारी ताकत है, आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है. पांचवां पिलर- डिमांड (Demand) हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है, जो ताकत है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है.
आर्थिक पैकेज में इन चार बातों पर जोर
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आर्थिक पैकेज की घोषणा की. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट का सामना करते हुए, नए संकल्प के साथ मैं आज एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं. ये आर्थिक पैकेज, 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा.  हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं, जो रिजर्व बैंक के फैसले थे, और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये करीब-करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है. ये पैकेज भारत की GDP का करीब-करीब 10 प्रतिशत है. आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए, इस पैकेज में Land, Labour, Liquidity और Laws, सभी पर बल दिया गया है. ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे MSME के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार है.
6 सालों के रिफॉर्मस ने बनाया सक्षम
उन्होंने कहा, आपने भी अनुभव किया है कि बीते 6 वर्षों में जो रिफॉर्मस (Reforms) हुए, उनके कारण आज संकट के इस समय भी भारत की व्यवस्थाएं अधिक सक्षम, अधिक समर्थ नज़र आईं हैं.  अब रिफॉर्मस के उस दायरे को व्यापक करना है, नई ऊंचाई देनी है. ये रिफॉर्मस खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में होंगे, ताकि किसान भी सशक्त हो और भविष्य में कोरोना जैसे किसी दूसरे संकट में कृषि पर कम से कम असर हो.  साथियों, आत्मनिर्भरता, आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है. आत्मनिर्भरता, ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी स्पर्धा के लिए भी देश को तैयार करती है. 

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