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आज ही के दिन धोनी ने किया था डेब्यू....कुछ ऐसा रहा था उनका पहला मैच dhoni starts his cricket today



विपरीत परिस्थितियों में शांत रहने, जरूरत के मुताबिक रणनीति में बदलने तथा विपक्षी गेंदबाजों को पढ़ने की क्षमता धोनी की सफलता के महत्वपूर्ण कारक रहे हैं.



आज का दिन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में खास है. खास इस मायने में है कि 23 दिसंबर 2004 को ही रांची का स्टार बल्लेबाज मैदान में उतरा था. अपनी बिल्कुल ही अलग बैटिंग स्टाइल के लिए खास पहचान रखने वाला यह बल्लेबाज आगे चलकर आज दुनिया का सबसे बेहतरीन फिनिशर बना. भारतीय टीम का सबसे सफल कप्तान भी बना. यह बल्लेबाज कोई और नहीं बल्कि महेंद्र सिंह धोनी थे. उन्होंने भारत को दो बार वर्ल्ड कप दिलवाया. धोनी को 2004 में बांग्लादेश दौरे पर गई भारतीय टीम में जगह दी गई थी. विपरीत परिस्थितियों में शांत रहने, जरूरत के मुताबिक रणनीति में बदलने तथा विपक्षी गेंदबाजों को पढ़ने की क्षमता धोनी की सफलता के महत्वपूर्ण कारक रहे हैं. 
पहले मैच में सातवें नंबर पर की थी बल्लेबाजी
अपने पहले वनडे मैच में महेंद्र सिंह धोनी सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए थे. टीम का स्कोर 5 विकेट पर 180 रन था. लोगों को धोनी से बहुत ज्यादा उम्मीदें तो नहीं थी लेकिन उनकी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी स्टाइल वाली थोड़ी बहुत चर्चा में थी. धोनी के से कोई करिश्मा देखने को नहीं मिला और सिर्फ एक गेंद खेलकर रन आउट हो गए थे. हालांकि उनके शून्य पर आउट होने के बावजूद भारतीय टीम यह मैच जीत गई थी. इस पूरी सीरीज में धोनी बल्ले से खास प्रदर्शन नहीं कर सके. बांग्लादेश के खिलाफ खेले अपने पहले 3 वनडे मैचों में महेन्द्र सिंह धोनी के बल्ले से सिर्फ 19 रन निकले.
हालांकि, अगली सीरीज में 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने विशाखापत्तनम के वीडीसीए स्टेडियम पर 148 रनों की पारी खेलकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. इस पारी के बाद धोनी रातों-रात स्टार बन गए. भारत के क्रिकेट प्रेमियों की जुबान पर उनका नाम चढ़ गया. उन्होंने अपने 5वें वनडे में 15 चौकों और 4 गगनचुंबी छक्कों की बदौलत 148 रनों की पारी खेलकर खुद को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के काबिल साबित किया. उनके 148 रन की बदौलत भारत ने 356 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया. जवाब में पाकिस्तानी टीम 298 रन पर ही ढेर हो गई.
श्रीलंका के खिलाफ वो 183 रन की यादगार पारी
वर्ष 2005 में धोनी भारतीय टीम में नए-नए थे. उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए महज 145 गेंद में नाबाद 183 रन का स्कोर बनाया था, जो अब तक उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर है, जिसमें 10 छक्के और 15 चौके शामिल थे. इस पारी से भारत ने श्रीलंका द्वारा दिए गए 299 रन के लक्ष्य को चार ओवर रहते ही हासिल कर लिया था, जबकि उनकी टीम में उनके सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज चामिंडा वास और मुथैया मुरलीधरन शामिल थे.
फिनिशर की भूमिका की शुरुआत
धोनी ने पाकिस्तान में 2006 में लाहौर और कराची में जोरदार अंदाज में फिनिशिर की भूमिका अदा की, जिसमें नाबाद 70 से अधिक रन की पारी शामिल थी, जिससे भारत ने टेस्ट सीरीज में 0-1 की हार के बाद वनडे सीरीज में 4-1 से जीत दर्ज की. उन्होंने बांग्लदेश में मई में 2007 और फिर जनवरी 2010 में क्रमश: नाबाद 91 और नाबाद 101 रन की पारी खेलकर यह काम फिर से किया. इन कुछ पारियों में धोनी को युवराज सिंह और विराट कोहली तथा अन्य खिलाड़ियों का साथ मिला और गुरुवार को उन्होंने अंतिम खिलाड़ी इशांत शर्मा के साथ यही किया. इन सबमें सबसे ज्यादा चर्चित और अहम पारी वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ 2 अप्रैल, 2011 विश्वकप फाइनल की रही, जिसमें उन्होंने नाबाद 91 रन बनाए.
विश्वकप 2011 का वो विजय छक्का...
सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर की 97 रन की शानदार पारी और धोनी की उनकी साथ 119 रन की साझेदारी तथा कप्तान की युवराज सिंह के साथ नाबाद 54 रन की भागीदारी से भारत ने 10 गेंद रहते श्रीलंका द्वारा दिए गए 275 रन के लक्ष्य को हासिल कर लिया था. धोनी ने तेज गेंदबाज नुवान कुलाशेखरा की गेंद पर विजयी छक्का लगाकर पूरे देश को जश्न के माहौल में डुबो दिया.

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