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Makar Sankranti 2018 Vrat Vidhi: खिचड़ी पर्व के दिन व्रत करने से मिलता है मोक्ष, जानें क्या है सरल विधि


Makar Sankranti 2018 Vrat Vidhi: संक्रांति के दिन तेल तथा तिल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए और सूर्य देव का पूजन किया जाता है।


Makar Sankranti Vrat Vidhi: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति होती है। मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारंभ होती है। भारत के कई स्थानों पर इसे उत्तरायणी के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति का पर्व इस वर्ष 14 जनवरी को है। भारत देश में इस पर्व को विभिन्न रुप में मनाया जाता है जैसे बिहार में इसे खिचड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, असम में बिहू आदि कहा जाता है। मकर संक्रांति को भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार के रुप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति भारतीय सभ्यता में एक शुभ चरण की शुरुआत माना जाता है। इसे सूर्य देव का त्योहार माना जाता है।

भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन के दिन संक्रांति का व्रत किया जाता है। इस व्रत में संक्रांति के पहले दिन एक ही बार भोजन किया जाता है। संक्रांति के दिन तेल तथा तिल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की स्तुति की जाती है। मान्यतानुसार इस दिन तीर्थ स्थलों या गंगा स्नान और दान पुण्य प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। संक्रांति के पुण्य अवसर पर पितरों का ध्यान किया जाता और उनका तर्पण किया जाता है। 14 जनवरी को दोपहर 2 बजे से लेकर शाम 5 बजकर 41 मिनट कर शुभ मुहूर्त है, इस समय किया गया स्नान और दान पुण्य की प्राप्ति करवाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि इस दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से गोचर करता हुआ मकर राशि में आता है, इसके बाद से दिन बड़े होने शुरु हो जाते हैं और अंधकार का नाश होता है। इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान करने की परंपरा भी माना जाती है।

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