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बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ीं, 'कोरोनिल' को मंजूरी देने वाली लाइसेंसिग अथॉरिटी ने कड़े किए तेवर, कही ये बात



नई दिल्ली: पतंजलि की आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल की राह में अड़चनें कम नहीं हैं. अब दवा को मंजूरी देने वाली लाइसेंसिग अथॉरिटी ने ही कोरोनिल पर तेवर कड़े कर लिए हैं. उत्तराखंड के आयुर्वेदिक विभाग ने दिव्य फार्मेसी को नोटिस जारी कर दिया है जिसमें कहा गया है कि दवा के लेबल पर कोरोना वायरस के इलाज का भ्रामक प्रचार किया जा रहा है जिसे कंपनी को तुरंत हटाना होगा. ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है.

 
नोटिस में साफ किया गया है कि कोरोना किट के नाम पर तीन दवाओं को एक साथ बेचने का कोई लाइसेंस इश्यू नहीं किया गया था.
नोटिस में जवाब मांगा गया है कि किस आधार पर कोरोनिल को कोरोना वायरस का इलाज बताया गया. उत्तराखंड के आयुर्वेदिक विभाग ने पतंजलि की दवा को बुखार, सांस की बीमारी के इलाज और इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बेचने की इजाजत दी थी. नोटिस में पूछा गया कि जब कोरोना वायरस के इलाज के तौर पर इस दवा को मंजूरी नहीं है तो क्यों ना इस दवा को बेचने का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाए.
बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी ने मंगलवार को कोरोनिल नाम की एक किट लॉन्च की और दावा किया गया कि ये दवा कोरोना वायरस का इलाज कर सकती है. लॉन्च में 100 मरीजों पर की गई एक स्टडी का भी हवाला दिया गया. दावे के मुताबिक, सभी मरीज इन आयुर्वेदिक दवाओं के इस्तेमाल से ठीक हुए.
क्या है कोरोनिल दवा के तत्व
उत्तराखंड डिपार्टमेंट से मिले कागजों के मुताबिक, इन दवाओं में जो तत्व मौजूद हैं वो इस तरह से हैं.
गिलोय - इसे इम्यूनिटी बूस्टर और बुखार के इलाज में असरदार माना गया है.
अश्वगंधा - ये भी रोगों से लड़ने की ताकत यानी इम्युनिटी बढ़ाता है.
और तुलसी - इसे सांस से जुड़े इंफेक्शन के इलाज में कारगर माना गया है.
कागजों में कहीं भी कोरोना वायरस का नाम नहीं है.

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